Kahani sharma

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साँवरी सलोनी भाग - 5






सलोनी अपनी माँ से मिलने वार्ड में जाती है माँ को अभी होश नही आया था वो उनके पास बैठ जाती और माँ का हाथ अपने हाथों में लेकर बोलती है माँ मुझे माफ़ कर दो न मेरी गलती की इतनी बड़ी सजा न दो जानती हूँ आप की इस हालत की जिम्मेदार मैं ही हूँ सलोनी की आँखों से आँशु बहने लगते है माँ की  उंगलियाँ थोड़ी हिलती है सलोनी माँ माँ आँखे खोल न माँ क्या माफ नही करोगी अपनी बेटी को , 


सलोनी की माँ को होश आ जाता है पगली तुम क्यों माफी मांग रही हो इस मे तुम्हारी क्या गलती है ओर मैं अब ठीक हूँ तुम परेशान न हो , 


सलोनी माँ के सीने से लग जाती है उधर सलोनी के पापा घर पहुँचते है तो उन्हें सब पता चलता है कि आज क्या हुआ है वो भी घबराकर हॉस्पिटल पहुँचते है ! 


काव्या तुम ठीक तो हो ना ये सब क्या होगा काव्या बोलती है जी बिल्कुल ठीक हूँ सलोनी थी मेरे साथ आप परेशान न हो,,


मेरी तो जान ही निकल गयी थी ये सुनते ही पर तुम्हे देख कर जान में जान आई है ! 


डॉ. भी आ जाते हैं रायचंद जी से बोलते है अब ये ख़तरे से बाहर है कुछ टेस्ट बचें है वो कल हो जाएंगे आप इनको फिर अपने साथ घर ले जा सकते है पर अभी दवाइयाँ चलेंगी समय समय पर आप टेस्ट करवाते रहना जिससे आगे कोई भी परेशानी न हो !


दो दिन बाद सब घर आ जाते है अब सलोनी माँ कस कुछ ज्यादा ही ख़याल रखती है और घर को भी अच्छे से संभालती है ! 


धीरे धीरे फिर से ज़िंदगी अपनी रफ़्तार पकड़ने लगती है घर का माहौल में अलग ही बदलाव देखने को मिलता है सलोनी भी आप पहले की तरह अपने कमरे में न रहकर घर के कामकाज में ज्यादा ध्यान देने लगती है घर मे सब काम करे वालो से पहले कटी कटी रहती थी अब उन सब के साथ खुश 

रहती थी वो लोग भी उसके बदले व्यवहार से खुश थे ! 


रायचंद जी को अब सलोनी की चिंता सताने लग गयी थी कैसे वो अपनी बेटी को शादी के लिए राजी करें जो लड़का वो उसके लिए चुनेंगे वो उसे खुश रख पाएंगे वो बस भगवान से यही प्राथना करता कि उसकी सुसराल में उसे वो सब मिले जिस की वो हकदार है उसकी कैद और घुटन में वो आप तक जी रही है उस का पति उसे बहुत प्यार दे जिससे वो अपने जीवन का हर गम भूल जाए ! 


पर होता तो वो ही है ना जो किस्मत की लकीरों में लिखा होता है क्या लिखा है हमारी किस्मत में ये तो अभी तक ना कोई जान पाया न ही जान पायेगा ! 

हाथों की ये टेड़ी मेड़ी लकीरें शतरंज की बिसात की तरह कब पासा पलट दे नही पता ! 


ज़िंदगी अँधे कुएं में पत्थर मारने के समान है जो फेक दिया तो फेक दिया लौट कर कभी नही आता पर हम इंसान ये सोचते है कि यादों को भुलाया जा सकता है पर ये बात कुछ हद तक ही सही है कभी कभी उन यादों को जो नासूर बन कर ज़िंदगी बार चुभती रहती है उन्हें क्या भुलाया जा सकता है उन्हें तो बस कुरेद जाता है और उनकी ज़िंदगी को जहन्नुम कैसे बनाया जाए इस के लिए नए नए हथकंडे अपनाए जाते है ! 


आप लोग सोच रहे होंगे ये में कौन सी ज़िंदगी की बातें करने लगी ये तो कहानी जे बिल्कुल भिन्न है पर ये जब सलोनी की ज़िंदगी का हिस्सा है अगले भाग में आप को ये पढ़ने को मिलेगा की क्या रुख बदल है हवाओं ने तो मिलते है अगले भाग में 🙏 


कहानी शर्मा 



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3 Comments

Abhinav ji

13-Dec-2022 08:24 AM

अगला भाग भी प्रकाशित करिये madam

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Abhinav ji

13-Dec-2022 08:23 AM

Very nice👍

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Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:22 PM

शानदार भाग

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